गुरुवार, 24 मई 2007

लेखनगत प्रसव पीड़ा

छछून्दर के सिर और तेल के संबंध के बारे में एक विचार मेरे दिमाग में कुलाटी मार रहा था, मैं उसे लिखना चाहता था कि फुरसतिया अंकल का अखबार सामने आ गया और उसे पढ़ने में ऐसा खो गया कि जब मुझे लेखनगत प्रसव पीड़ा होने लगी तब होश आया । आप सोच रहे होगे यह कैसी प्रसव पीड़ा है? आइए पहले इसी को डिसकस लेते हैं, छछून्दर के सिर और तेल को किसी और फुरसत में निपटा लेंगे।
विशेषता :-
1. यह पीड़ा स्त्री/पुरुष/मध्यमा किसी को भी हो सकती है।
आवश्यक उपकरण :-
1. दिमाग में लेखन कृमि व उसके रहने लायक एक निजी फ्लैट।
लक्षण :- मानव
1. की प्रकृति गम्भीर हो जाती है,
2. विचार मग्न सा दिखता है,
3. की आंखों में तेज उत्पन्न हो जाता है,
4. की जेब में रखी कलम में स्वत: स्फ़ूर्त हरकत होने लगती है या फिर उंगलियां की बोर्ड पर टाईप करने जैसी हरकतें करने लगतीं हैं,
5. की तर्क शक्ति अचानक मुखर हो जाती है,
6. की रुचि के अनुसार चाय, सिगरेट इत्यादि की तलब होने लगती है।
पीड़ा होने पर क्या करें :-
1. मोबाईल फोन स्विच ऑफ कर दें,
2. अपने आप को कमरे के अंदर बंद कर लें,
3. रुचि के अनुसार चाय, सिगरेट इत्यादि ले सकते हैं,
4. कम्प्यूटर या कॉपी खोल कर बैठ जाएं,
5. अपनी अन्य दिनचर्या/कार्यक्रम बिल्कुल भूल जाएं।
पीड़ा होने पर क्या न करें :-
1. ऐसा कोई कार्य जिससे लेखन कृमि सुस्त पड़ जाए, जैसे घर की समस्याओं पर विचार, बच्चों को पढ़ाना इत्यादि,
2. शारीरिक हरकतें जैसे चलना, दौड़ना, उछलना, मार्केटिंग, ट्रैवेलिंग इत्यादि, इनके करने पर मिस कैरेज होने की आशंका बलवती होती है।
उपचार :-
इस पीड़ा का कोई उपचार अभी तक नही खोजा जा सका है; वैज्ञानिक शोध में लगें हैं। आविष्कार होने पर आपको युरेका-युरेका गायन मंडली में शामिल किया जाएगा।
परिणाम :-
गद्य, पद्य (समीर लाल जी की भाषा में गदहा, पदहा) या फिर ब्लॉग
संतानोत्पत्ति के पश्चात जच्चा की परेशानियों में कोई कमी नही आती, अब उसे छपास का रोग घेर लेता है।
उपसंहार :-
जब आप लेखनगत प्रसव पीड़ित होते हैं और उपरोक्त से इतर कोई अनुभूति होती हो तो कृपया मेरी और पाठकों की जानकारी अवश्य बढ़ाएं।

7 टिप्‍पणियां:

काकेश ने कहा…

बहुत अच्छे डॉक्टर साहब ... हमारी समस्या है कि हम को तो कोई भी चीज आजकल नहीं सुहाती और लिखने बैठे तो आईडिया ही नहीं आते...

mamta ने कहा…

बाक़ी सब तो बढ़िया है पर सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

सही!!!

vishesh ने कहा…

हर चीज को कूड़ा बताने वालों के लिए कोई दवाइ्र बताएं डाक्‍टर साहब...

Udan Tashtari ने कहा…

हा हा, बहुत खूब महाराज!!

हम तो आपकी इस बात का हमेशा ख्याल रखते हैं:

शारीरिक हरकतें जैसे चलना, दौड़ना, उछलना, मार्केटिंग, ट्रैवेलिंग इत्यादि, इनके करने पर मिस कैरेज होने की आशंका बलवती होती है।


--वाह!! डॉक्टर साहब, आपकी क्लिनिक का पता भी दे देते तो एक बार दिखला भी आते आपको. :)

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया।

अनूप शुक्ल ने कहा…

अच्छा है लेकिन ममताजी की बात पर ध्यान दें।