मंगलवार, 22 मई 2007

ब्लॉग लेखन: एक नशा

ब्लॉग लेखन
पहले, आन चढा
अब, शान चढा
फिर, मान चढा
अंतत:, जान चढा।

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

अब तो चढ़ ही गया. अब छूटना मुश्किल है भाई तो बस मजे लूटो. :)

रचना अच्छी बन पड़ी है. :)

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

सच मे ही एक नशा हैआप ठीक कहते है।रचना अच्छी है।

ratna ने कहा…

An absolute truth.

vishesh ने कहा…

हम भी लगे पड़े हैं, अाप भी जुटे रहिए. ये नशा न ही छूटे तो अच्‍छा.