वाह रे Anonymous…... में नारद व अपने प्रेरणा स्त्रोत के प्रति की गयी टिप्प्णी के लिए हृदय से क्षमा याचना करता हूं। मेरी वह पोस्ट मेरा कोई लेख या संस्मरण नही है; वह तो भावातिरेक में मेरा क्षोभ था जो बस निकल गया, किसी को भी कष्ट पहुंचाने का मेरा उद्देश्य नही था। 
मुझे कम्प्युटर, इंटरनेट इत्यादि के बारे में तकनीकी जानकारी नही है, बस इधर उधर हाथ पांव मारते हुए जो सीख लिया उसी पर जो चाहे उछल लूं। मेरी इस पोस्ट पर आप लोगों की जो प्रतिक्रियाएं मेरे पास आयीं, उन सबको मैंने आत्मसात किया। मेरे सभी भाईयों ने मुझे जिस प्यार से डांटा व समझाया उससे मुझे इस बात की अनुभूति हुई कि मैं जाने अनजाने एक ऐसे परिवार से जुड गया हूं जिससे अलग हो पाना मेरे लिये कम से कम इस जीवन में संभव नही है।
मैं उक्त पोस्ट में नारद व अपने प्रेरणा स्त्रोत के प्रति की गयी टिप्प्णी वापस लेता हूं और आप सभी द्वारा क्षमा किये जाने के इंतजार में……….
मुझे कम्प्युटर, इंटरनेट इत्यादि के बारे में तकनीकी जानकारी नही है, बस इधर उधर हाथ पांव मारते हुए जो सीख लिया उसी पर जो चाहे उछल लूं। मेरी इस पोस्ट पर आप लोगों की जो प्रतिक्रियाएं मेरे पास आयीं, उन सबको मैंने आत्मसात किया। मेरे सभी भाईयों ने मुझे जिस प्यार से डांटा व समझाया उससे मुझे इस बात की अनुभूति हुई कि मैं जाने अनजाने एक ऐसे परिवार से जुड गया हूं जिससे अलग हो पाना मेरे लिये कम से कम इस जीवन में संभव नही है।
मैं उक्त पोस्ट में नारद व अपने प्रेरणा स्त्रोत के प्रति की गयी टिप्प्णी वापस लेता हूं और आप सभी द्वारा क्षमा किये जाने के इंतजार में……….
11 टिप्पणियां:
साढ़े तीन बजे लिखा है; दफ्तर देर से जाने का इरादा है क्या?
चलिये कही सुनी माफ करें
आगे का रस्ता साफ करें
वैसे आपने अपराध किया है तो आपको सजा तो मिलनी ही चाहिये...आपकी सजा है कि आप नियमित लिखते रहें...
काकेश
मस्त रहें लिखने में व्स्यत रहें!
दफ़्तर का क्या है, आप हैं ना?
आपका यूँ क्षमा माँग लेना अच्छा लगा । जबकि आप स्वयं आहत भी हुए थे । आप लिखते रहिये, सबका प्रेम भी मिलेगा व किसी एक आध का गुस्सा या बदतमीजी भी ।
वैसे आपका नारद पर गुस्सा गलत भले ही रहा हो किन्तु आपका उसके प्रति आस्था व प्रेम दिखाता था ।
घुघूती बासूती
आपसी में माफी कैसी?
बस लिखना जारी रखो, हम हैं न पढ़ने और टिपियाने के लिये. :)
मस्त रहो, भाई....शुभकामनाये.
इस पोस्ट का शीर्षक मुझे बहुत खटक रहा है:
यदि आप इसे किसी चौपाई का एक चरण मानते हैं तो इसमे उसके हिसाब से मात्राओं की अधिकता है, जिससे यह ठीक से वांचने में फिट नहीं हो रहा। ऐसा रहे तो मात्रिक दृष्टि से ठीक रहेगा:
छमहुं क्षमा मन्दिर सब भ्राता
संतोष भाई,
मस्त रहें और लगातार लिखें।
आपने वादा किया था चिन्तन का चुन्तन की कथा लिखेंगे, हम सभी इन्तज़ार कर रहे है।
काकेश जी से मै भी सहमत हूँ अतः आप नियमित लिखते रहे यही सजा आप को मिलनी चाहिए।
सिंह साहब
आपकी बात बिल्कुल सही है, यह गल्ती जान्बूझ कर की गई है;सब शब्द पर अधिक जोर देने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है।
ठीक है, अब आगे की सोचें..
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