गुरुवार, 17 मई 2007

मेरी बेटी और डेरा सच्चा सौदा |

कल शाम को ऑफिस से घर लौटा तो देखा कि मेरी बेटी (सोनल) काफी गम्भीर व क्रोधित मुद्रा में थी। मैंने पूछा कि सोना बेटा क्या हुआ? बस, जैसे कि आतिशबाजी वाली चटाई में किसी ने माचिस लगा दी हो।
हम उससे नही बोलेंगें, कभी उसके घर नहीं जाएंगें और मेरे घर में आया तो उसको दो झापड मारेंगें ।
मैंने तापमान का अंदाज लगाते हुए अपनी पत्नी से इशारे से पूछा कि क्या हुआ ? उसने भी अपने कंधे उचका दिये। अंतत: मैने सोना बेटा से फिर पूछा
– बेटा अब यह तो बताइये पापा को कि हुआ क्या है, आप किससे इतना नाराज हो?
मेरी सोनल आकर मेरी गोद में बैठ गयी और बताने लगी…..
- वो जो पिन्कू (पडोस में रहने वाला एक बच्चा) है ना, बहुत गन्दा है; हम उससे कभी बात नही करेंगें, उससे कुट्टी कर लिए हैं हम।
- मैने कहा ..ठीक है पर हुआ क्या?
- पापा वो पिन्कू न, दिन में आया था और भइया की चप्पल पहन कर उन्ही की तरह चलने लगा और कह रहा था कि मैं भइया बन गया।
- तो क्या हो गया?
- मेरा तो एक ही भइया है कोई और कैसे मेरा भइया बन सकता है।
- पगली उसके कहने से वो तुम्हारा भइया बन गया क्या ? अच्छा यह बताइये कि जब मैं ऑफिस से आता हूं तो कौन मेरा जूता रखता है और मेरे लिये चप्पल लाता है ?
- मैं,
- कभी कभी आप मेरी चप्पल पहन कर आतीं हैं कि नहीं ?
- तो क्या आप पापा बन जाती हैं ?
- नहीं, पर वो तो आप कहते हैं इसलिये और मैं आपकी बेटी हूं तो मैं, तो ऐसा कर सकती हूं न । लेकिन वो तो बाहर वाला है फिर वो ऐसा कैसे कर सकता है ?
- मेरी सुन्दर बेटी, चाहे वो बाहर वाला हो या फिर आप हों किसी की चप्पल पहन लेने से वो चप्पल वाला तो नही बन जाता न ?
- हां, ये तो ठीक है लेकिन वो तो कह भी रहा था ।
- अगर वो कह भी रहा था तो ऐसा कहने से वो भइया की नकल ही तो कर रहा था, न कि भइया बन गया । नकल करने से कोई नकलची तो हो सकता है लेकिन भइया या पापा तो नहीं बन जाएगा न ।
-सोनल कुछ देर सोच कर कहती है .. यस पापा आपकी बात एकदम ठीक है, मुझे तो नाउन चाची (मेरे घर की महरी) ऐसे बता रही थी, इसलिये मैं गुस्सा हो गई थी । मुझे नाउन चाची की बात नही माननी चाहिए थी, वो मुझे उल्लू समझती है और मैं उल्लू बन गयी थी। मैं जा रही हूं पिन्कू से मिल्ली करने।
यह बात मेरी बेटी को तो समझ में आ गयी …………………….?

9 टिप्‍पणियां:

संजय बेंगाणी ने कहा…

क्या बात है भाई!? क्या चुंतन(?) है?

मगर दुनिया बच्चो-सी निर्दोष नहीं.

Manish Kumar ने कहा…

बहुत खूब सही उदहारण रखा है पंजाब में चल रहे ताजा विवाद पर ।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बहुत अच्छा. सही ट्रैक पर!

Jitendra Chaudhary ने कहा…

बहुत सही तरीके से बात को समझाया है। काश! हम सभी इस तरह सोचते।

संतोष जी, आपके ब्लॉग के साइड बार मे आपने नारद का लिंक नही दिया है, उसे प्रदान करें। किसी भी प्रकार की सहायता के लिए यहाँ देखें।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बेहतरीन प्रतिकात्मक कथा के साथ आपने इतनी बड़ी बात कही है, साधुवाद.

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
संतोष कुमार पांडेय "प्रयागराजी" ने कहा…

मैं पूछता हूं नारद के कर्णधारों से कि क्या इस तरह की टिप्पणियां भी की जाती हैं किसी लेख के प्रति? (यदि आपको जानना है तो कि क्या टिप्पणी की गई है तो मुझे somsanson@yahoo.com पर अंग्रेजी में भाषा में सम्पर्क करें।)यदि ऐसा है तो क्या फर्क रह गया नारद और किसी पोर्न फिल्में दिखाने वाली साईट्स में? मेरे प्रेरणास्त्रोत से भी मैं यही बात पूछता हूं। इस टिप्पणि के जनक Anonymous ने तो अपने संस्कार दिखा दिये और मैंने उस टिप्पणी को मिटा दिया लेकिन क्या इस तरह की घटना को रोकने की जिम्मेदारी नारद की नही है? अगर नही है तो यह अच्छी बात नही है। इस टिप्पणी ने मुझे इतना मर्माहत किया है कि शायद यह मेरे ब्लॉग लेखन के अंतिम शब्द होंगे, क्योंकि इस चिट्ठे में मेरी बेटी का जिक्र हुआ है और फिर ऐसा कमेंट। नारद के कर्णधारों अगर आपने अपनी जिम्मेदारी इस घटना के मद्देनजर नही उठाई तो मेरा नारद को अतिशय श्राप होगा और श्रृधांजलि भी।

बेनामी ने कहा…

अब अगर आपने अपने घर के दरवाजे हर एक (Anonymous)के लिये खुले छोड रखे हों तो इसमे नारद या ब्लागस्पॉट का क्या कसूर?

बेनामी ने कहा…

Bilkul sahi likha hai aapne... Meri beti or Dera Saccha Soda... Apki beti ko to baat samhaj main aa gayi.... lekin un lakho logo ko kab samhj main aayegi ye to upper wala hi bata sakta hai.