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शनिवार, 5 मई 2007
कालजयी इच्छा
तुम्हीं तो आये थे मेरे सपने में ; ठहर गये दिल में मेरे सपने में; मुझको पाया तुमने मेरे सपने में । अब, तुमको पाने की कालजयी इच्छा है मेरे अपने में; हर पल गुजरा वह पल तकने में मैं भी पा लूं मंजिल अपनी तेरे सपने में।
1 टिप्पणी:
बिल्कुल सटीक सोच. स्वप्न और मुकाम में बस कालजयी इच्छा का ही पुल चाहिये. वास्तव में कालजयी - जिसमें सब कुछ समय पर होने का धैर्य हो.
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