मैंने चाय की प्याली (पहली) तो यूं ही निकाल ली थी और सोचा था कि अकेले बैठ कर पीऊंगाI मेरा सोचना गलत साबित हुआ; महाशक्ति, जितेन्द्र चौधरी , अरुण, mired mirage, ज्ञान दत्त, अरविंद, संजीव और नीरज मेरी की चुस्कियां लेने आ गयेI मेरे लिये कम्प्यूटर, इंटरनेट साल भर पहले त
क भैंस बराबर था I ब्लॉग, हिन्दी ब्लॉग तो मैं जानता ही नहीं था I कार्यालय व घर के विभिन्न कार्यक्रमों का निष्पादन करते हुए, बिना कोई व्यावसायिक प्रशिक्षण लिये, आप जैसी सहयोगी संस्थाओं के आशिर्वाद से आप को चाय की प्याली परोसने लायक हो गया हूंI
मेरे प्रथम प्रकाशित ब्लॉग लेखन पर मेरी हौसला अफजाई के लिये आप सब का हार्दिक धन्यवाद, यह आशा भी जन्म ले चुकी है कि भविष्य में आप मेरे साथ चाय, नाश्ता, दोपहर व रात का खाना ग्रहण करना पसंद करते रहेगेंI
4 टिप्पणियां:
अब यहां अटक गये हो, तो कोई साथ न भी पिये तो भी यहीं चुस्की लगाओगे यही नियम है. खैर हम तो आते ही रहेंगे तो अकेलापन न हो पायेगा, यह तय है..लिखो लिखो खूब लिखो... :)
स्वागत है भाई लिखते रहें.
भाई चाय तो ठीक है पर ये मुसीबत मोल क्यो ले रहे हो खने का नाम आते ही देखो तो सबसे पहले कौन आया समीर भाई क्या अपना दिवाला निकलवाना है फ़ोटो मे पेट नही दिखाई दे रहा इस बात से धोखा मत खा जाना १० मथुरा के चौबो को अकेले हरा चुके है और काकेश भाई की टीम (काव काव वाली) अभी श्राद्ध् के बाद जीमने के लिये जगह ढूढ रही है काहे को पंगे लेते हॊ पोस्टर छाप कर धीरे से मेल कर देना हम चुपके से आ जायेगे
बड़ा स्वागत है आपका इस वेहद बड़ी दुनियां में…चाय बनाते रहें और लिखते रहें…अम सब हैं पढ़ने को…
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