सोमवार, 28 दिसंबर 2015

स्मृतियों के झरोखे से .....

कक्षा 10, 11 व 12 की पढ़ाई हमने चित्रकूट इंटर कालेज, कर्वी चित्रकूट में वर्ष 1981 से 1984 तक की है l
लगभग 31 वर्षों पश्चात एक बार पुनः उस मार्ग से गुजरते हुए अपने विद्यास्थल के दर्शन का लोभ संवरण नही कर सका l
मेरा वाहन स्वमेव ही विद्यालय के द्वार पर रुक गया और मेरे कदम अपने आप विद्यालय प्रांगण में पंहुच गये l
31 वर्ष पूर्व और आज के मेरे पदचाप के स्वरों में मुझे एक गौरवपूर्ण भिन्नता प्रतीत हुई थी l
पहले जिस प्रिंसिपल कक्ष वाले गलियारे से छुट्टी के दिनों में भी निकलने की हिम्मत नही पड़ती थी, उसी गलियारे में मेरे जूते खट खट की, संभवतः अहंकार युक्त, ध्वनि उत्पन्न कर रहे थे l
उस गलियारे में मेरी आत्म विश्वास से भरी बॉडी लैंग्वेज (जो अध्ययन काल में नही थी) से प्रभावित होकर गलियारे के समक्ष विराजमान सात गुरुजन (सभी आयु में मुझसे छोटे या समान होंगें) एकदम खड़े हो गये और लगभग एक साथ ही बोले - "आइये सर"
मैंने सभी गुरुजनों को प्रणाम करते हुए अपना परिचय व आगमन प्रयोजन बताया तो उनकी भाव भंगिमा, नयनों व जिव्हा से उमड़े प्रेम रस से मैं पूर्णतया भींग गया l
प्रिंसिपल कक्ष का स्मरण होते ही श्री लालता प्रसाद (मेरे समकालीन प्रिंसिपल) याद आए l
सर्व श्री फूल सिंह, राजेन्द्र प्रसाद, नवल किशोर, बी.पी.सिंह, तैलंग मास्साब भी खूब याद आए l सभी सेवा मुक्त हो चुके हैंl
फिर मैं विद्यालय के मैदान में खूब घूमा, पहले दौड़ा करता था;
लम्बे लम्बे गलियारों में शक्तिभर टहला, पहले मजबूरी में चलता था;
इन गलियारों ने मुझे तुरंत पहचान लिया, कहते थे- संतोष तुम तो आज भी वैसे ही चलते हो, आओ बैठो बस अभी घंटी बजेगी तो तुम्हारी बायलोजी की कक्षा प्रारम्भ होगी, तब तक इन खम्भों की आड़ में वैसे ही खड़े रहोl
मैदान में घूमते समय अचानक से कहीं संतोष अग्रवाल तो कहीं कामता सोनी तो कहीं राजेश श्रीवास्तव (अब इस संसार में नही है) तो कभी संजीव श्रीवास्तव मुझसे बात करते से लगते थे l वहीं कहीं दूर मैदान के उस पार, भौतिकी प्रयोगशाला के दरवाजे के पास, सुबोही खानम, ज्योत्सना मिश्रा, रूपा जोग, उषा गुप्ता भी "दिखाई" पड़ रही थीं l (बात करने की हिम्मत थोड़े ही पड़ती थी तब)
बस ऐसे ही कुछ पल अपने पुराने विद्यालय के प्रांगण में व्यतीत कर, कुछ खट्टी मीठी स्मृतियों व भारी पदचापों के साथ मैं वापस अपने वाहन में बैठ घर की ओर चल पड़ा l
हम तुम्हे बहुत याद करते हैं - चित्रकूट इंटर कालेज, कर्वी, चित्रकूट l