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शनिवार, 7 अप्रैल 2007
जै राम जी की! मैं इसी पृथ्वी पर किसी कोने में रहने वाला एक बंदा हूं, एक पत्नी और दो बच्चों के साथ अपनी जीवन नैया की इस थोपी हुई यात्रा को निरन्तर आकर्षक बनाने का प्रयास कर रहा हूं!
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